पृष्ठ

रविवार, 25 जुलाई 2010

श्री गुरु महिमा

बंदउ गुरु पद कंज, कृपा सिंधु नररूप हरि।
महामोह तम पुंज, जासु बचन रबि कर निकर।।

बंदउ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा।।
अमिय मूरिमय चूरन चारू। समन सकल भव रुज परिवारू।।
सुकृति संभु तन बिमल बिभूती। मंजुल मंगल मोद प्रसूती।।
जन मन मंजु मुकुर मल हरनी। किएँ तिलक गुन गन बस करनी।।
श्रीगुर पद नख मनि गन जोती। सुमिरत दिब्य द्रृष्टि हियँ होती।।
दलन मोह तम सो सप्रकासू। बड़े भाग उर आवइ जासू।।
उघरहिं बिमल बिलोचन ही के। मिटहिं दोष दुख भव रजनी के।।
सूझहिं राम चरित मनि मानिक। गुपुत प्रगट जहँ जो जेहि खानिक।

दो0-जथा सुअंजन अंजि दृग, साधक सिद्ध सुजान।
कौतुक देखत सैल बन, भूतल भूरि निधान।।1।।

गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन। नयन अमिअ दृग दोष बिभंजन।।
तेहिं करि बिमल बिबेक बिलोचन। बरनउँ राम चरित भव मोचन।।




भावार्थ:

मै उन गुरु महराज के चरण कमल की वन्दना करता हू, जो कृपा के समुद्र है और नर रूप मे श्रीहरि है और जिनके वचन महामोह रूपी घने अन्धकार के नाश करने के लिये सूर्य-किरणो के समूह है।
मै गुरु महराज के चरणकमलो की रज की वन्दना करता हू, जो सुरुचि (सुन्दर स्वाद),सुगन्ध,तथा अनुराग रूपी रस से पूर्ण है । वह अमर मूल (सन्जीवनी जडी)का सुन्दर चूर्न है ,जो सम्पूर्ण भवरोगो के परिवार को नाश करने वाला है॥
वह रज सुकृति (पुन्यवान पुरुष) रूपी शिव जी के शरीर पर सुशोभित निर्मल विभूति है और सुन्दर कल्याण और आनन्द की जननी है, भक्त के मन रूपी सुन्दर दर्पन के मैल को दूर करनी वली और तिलक करने से गुणो के समूह को वश मे करने वाली है ।
श्री गुरु महाराज के चरण-नखो की ज्योति मणियो के प्रकाश के समान है ,जिसके स्मरण करते ही ह्र्दय मे दिव्य द्रष्टी उत्पन्न हो जाती है..।वह प्रकाश अग्यान रूपी अन्धकार का नाश करने वाला है;वह जिसके ह्रदय मे आ जाता है,उसके बडे भाग्य है।
उसके ह्रदय मे आते ही ह्रदय के निर्मल नेत्र खुल जाते है और सन्सार रूपी रात्रि के दोश-दुख मिट जाते है एवम श्री रामचरित्र रूपी मणि और माणिक्य,गुप्त और प्रकट जहा जो जिस खान मे है,सब दिखायी पडने लगते है।
जैसे सिद्धान्जन को नेत्रो मे लगाकर साधक,सिद्ध और सुजान पर्वतो,वनो और प्रथ्वी के अन्दर कौतुक से ही बहुत सी खाने देखते है॥
श्री गुरु महाराज के चरणो की रज कोमल और सुन्दर नयनाम्रत-अन्जन है ,जो नेत्रो के दोशो का नाश करने वाला है । उस अन्जन से विवेक रूपी नेत्रो को निर्मल करके मै सन्सार रूपी बन्धन से छुडाने वाले श्री रामचरित्र का वर्णन करता हू..॥

12 टिप्‍पणियां:

  1. आप सभी मित्रो,महानुभावो को गुरु पूर्णिमा की खूब खूब हार्दिक शुभकामनाये...

    जवाब देंहटाएं
  2. आप सभी मित्रो,महानुभावो को गुरु पूर्णिमा की खूब खूब हार्दिक शुभकामनाये...

    जवाब देंहटाएं
  3. गुरु भक्ति को नमन्।
    कल (26/7/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  4. गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाये..

    जवाब देंहटाएं

  5. श्री राम भक्त सानु शुक्ल जी

    नमस्कार !
    गुरु पूर्णिमा पर्व की बहुत बधाई !

    बहुत सुंदर पोस्ट है ।
    श्री गुरु महिमा के साथ भावार्थ दे'कर आपने सहज सुविधा उपलब्ध करा दी , इसके लिए भी आभार !

    पुनः बहुत बहुत बधाई और स्वागत है

    शस्वरं पर भी आपका हार्दिक स्वागत है , आइए…

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

    जवाब देंहटाएं
  6. blog jagat par aisi rachnaye ek sukhad anubhuti pradan karti hain.guru parv par hardik badhai swikaren.
    poonam

    जवाब देंहटाएं
  7. bhakti bhaaw ki ek pyari rachna....

    Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

    A Silent Silence : Zindgi Se Mat Jhagad..

    Banned Area News : 15,000 justice department staff may lose jobs in Britain

    जवाब देंहटाएं
  8. आपका यह प्रयास तो वाकई प्रशंसनीय है.

    जवाब देंहटाएं
  9. सानु शुक्लाजी बहुत सुंदर कार्य आप कर रहे हैं । गुरु महिमा जो आपने सार्थ दी है बहुत ही अच्छी लगी । स्तुत्य उपक्रम ।

    जवाब देंहटाएं
  10. guru ke bina to gyan nahi milata to gyan pane ke liye guru ki sharar me chalen .aiye guru parwa manaye aur guru parwa ki apko shubhkamnaye..
    jai gurudev.

    जवाब देंहटाएं
  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं